जब भी आप सेकंड हैंड गाड़ी चेक आउट कर रहे हों तो आपको गाड़ी की बिडिंग को रिमूव करके वेल्डिंग स्टैम्प्स ज़रूर चेक करने चाहिए ये गाड़ी के एक्सीडेंटल स्टेटस को चेक करने का सबसे आसान तरीका है
इंजन हेल्थ
गाड़ी की ओवर आल इंजन हेल्थ ही डीडे करती है की की गाडी आपको आगे चल क्या पर्फोमन्स देगी और आप की जेब पर क्या इम्पैक्ट डालेगी इसीलिए आप को ओवरआल इंजन हेल्थ ज़रूर चेक करनी चाहिए
मीटर रीडिंग
किसी भी गाड़ी के मीटर को रिवर्स करना बाएं हाथ का खेल है इसलिए जब भी आप एक सेकंड हैंड गाड़ी देखें उसका कम्पनी सर्विस रिकॉर्ड ज़रूर चेक करें
क्लच
अगर गाड़ी का क्लच हार्ड है इसका मतलब है गाड़ी का क्लच का काम करवाना पड़ेगा जिसमें आपका ठीक ठाक खर्चा करवा सकती है
स्टीयरिंग
अगर गाड़ी का स्टीयरिंग फीडबैक रेस्पोंसिव नहीं है तो आपको गाड़ी की वैल्यू और रनिंग किलोमीटर्स के हिसाब से उसका आंकलन ज़रूर करना चाहिए
गाड़ी फाइनल करने से पहले आपको टेस्ट ड्राइव ज़रूर लेनी चाहिए अगर गाड़ी के सस्पेंशन्स अच्छे नहीं है तो यह गाड़ी आपको ओवरआल कई सारे इश्यूज का सामना करवा सकती है
डेंटिंग
बम्पर वगैरह पर थोड़ी बहुत डेंटिंग को इग्नोर किया जा सकता है लेकिन अगर आपको लगता है की गाड़ी पर ज़यादा काम हो रखा है तो ऐसी गाड़ी आपकी लिस्ट में नहीं होनी चाहिए
टायर्स
गाड़ी की रनिंग के हिसाब से आपको टायर्स को ज़रूर कम्पेयर करना चाहिए क्योंकि टायर्स की कंडीशन अगर अच्छी होगी तो आप आने वाले समय में निष्चिंत रहेंगे
AC
AC एक बहुत ज़रूरी चीज़ है पुरानी गाड़ियों में अक्सर इसको लेके इश्यूज देखे जाते हैं इसमें दिक्कत होने पर आपको काफी खर्च उठाना पड़ सकता है
वैल्यू
आप जो भी गाड़ी के लिए पेमेंट दे रहें हैं क्या वो जस्टीफ़ाइड है क्योंकि जब आप इसी गाड़ी को सेल करना चाहोगे तो आपको इसकी क्या वैल्यू मिलने वाली है इस फैक्टर को धयान में ज़रूर रखना चाहिए