जब भी हम किसी भी Vehicle Insurance गाड़ी का बीमा करवाते हैं या कोई नयी गाड़ी खरीदते हैं बीमा यानी (इंश्योरंस) एक ऐसी विषयवस्तु है जिसके बारे में एक आम ग्राहक उसको सिर्फ एक फॉर्मेलिटी ही समझता है लेकिन गाड़ी का बीमा एक ऐसी विषयवस्तु है जिसके बारे में हमें कई सारे ऐसे तथ्य हैं जो की हमें ध्यान में रखने चाहिए आज हम और आप गाड़ी के बीमे से जुड़े सभी अहम् तथ्य समझने की कोशिश करेंगे वो भी आसान भाषा में।
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Vehicle Insurance गाड़ी का बीमा कितने तरह का होता है?
Vehicle Insurance गाड़ी का बीमा मुख्यतः 2 तरह का होता है पहला फर्स्ट पार्टी (First Party) इसे कुछ यूँ समझिये की यह एक तरह से किसी भी वाहन का सुरक्षा कवच होता है जिसमे कई सारे और भी तथ्य जुड़े होते हैं जिनके बारे में आगे चर्चा करेंगे।
दूसरे नंबर पर आता है थर्ड पार्टी (Third Party) बीमा हालाँकि इसको हमने दुसरे नंबर पर रखा है लेकिन जो लोग गाड़ी के सुरक्षा को लेकर ज़्यादा चिंतित नहीं रहते हैं उनके लिए थर्ड पार्टी बीमा पहली प्राथमिकता होती है।
थर्ड पार्टी बीमा को आसान भाषा में कुछ इस तरह से समझिये की आप का वहां सड़क पर किसी तीसरे पक्ष (व्यक्ति, सम्पति, या कोई और चीज़) को नुकसान पंहुचा देता है तो इस बीमे तहत वह पक्ष जिसे हानि हुई है यानि जिसका नुकसान हुआ है आप से हर्जाने का अधिकार उसको होता है लेकिन अगर आप ने अपने वाहन का थर्ड पार्टी बीमा करवाया हुआ है तो अब उस तीसरे पक्ष के हुए नुसकान का सारा जिम्मा बिमा कर्ता कंपनी का दायित्व हो जायेगा आप पे उसकी कोई भी ज़िम्मेदारी नहीं आएगी।
NOTE: यह शर्त तभी लागु होगी जब घटना के समय वाहन चालक के पास वैध लइसेंस होगा साथ हे वह कुछ और नियम व शर्ते हैं जिनको पूरा करता होगा।
Vehicle Insurance गाड़ी का बीमा करवाते समय ध्यान देने वाली बातें
जब भी हम Vehicle Insurance गाड़ी का बीमा करवा रहे हो या नया वहां खरीते समय (जिसमें रजिस्ट्रेशन के समय बीमा अनिवार्य होता है या बातें उस वक्त भी लागु होती हैं) कुछ महत्वपूर्ण बीमा सम्बन्धी तथ्य है जिनक ध्यान में ज़रूर रखना चाहिए जो की कुछ इस प्रकार प्रकार हैं।
बीमा में कवर होने वाले जोखिम
गाड़ी का बीमा फर्स्ट पार्टी बीमा होने की दशा में बीमा में कवर होने वाले जोखिम से यह मतलब है की अगर वाहन में यदि कोई भी नुक्सान होता है तो जो भी नुकसान हुआ है उस में कौन कौन से जोखिम को कवर किया गया है इसे आसान भाषा में समझने लिए उदाहरण के लिए मान लेते हैं की एक बाइक है अगतर उसका एक्सीडेंट हो जाता है तो उसमें हुए नुकसान का कौन कौन सा पार्ट इंश्योरंस में मिलेगा या नहीं उदारण के तौर पर प्लास्टिक, फाइबर, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स वगैरह ये ज़रूर हे चेक कर लेना चाहिए।
जब भी आप नया वाहन ले रहें हो या अपने पुराने गाड़ी का बीमा रिनिव करवा रहे हो (वाहन की उम्र 5 साल या उससे काम होने की दशा में) हमेशा NIL DEPRECIATION का ऑप्शन ज़रूर चुने इसको सरल भाषा में कई लोग 0 डेप बीमा भी कहकर बुलाते हैं यह ऑप्शन लेने से होगा यह की आप के बीमा प्रीमियम की लगत कुछ बढ़ जाएगी (यह वाहन की IDV Ideal Declared Value पर निर्भर करेगा) लेकिन जब भी कहीं अगर आपके वाहन में को भी नुकसान होता है तो बीमा कंपनी आप के हर्जाने में से सिर्फ एक मामला सा चार्ज काट कर आपको पूरा हरजाना देगी।
थर्ड पार्टी इंश्योरंस की दशा में थर्ड पार्टी को मिलने वाले कंपनसेशन के बारे में ज़रूर पूरी जानकारी रखनी चाहिए और अगर आप चाहे तो साथ ही थर्ड पार्टी इंश्योरंस में वाहन स्वामी का पर्सनल एक्सीडेंटल कवर का ऑप्शन भी चुन सकते हैं जिसमें दो पहिया वाहन की दशा में आप को 15 लाख तक का हर्जाना मिल सकता है।
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सही बीमा कंपनी का चुनाव कैसे करें?
बीम कंपनी का चुनाव करते समय आप कुछ बातें हैं जिनपर ख़ास कर ध्यान देना चाहिए जैसे की बीमा कंपनी कैशलेश क्लेम का ऑप्शन दे रही है या नहीं, बीमा कंपनी का क्लेम प्रोसेस क्या है, वगैरह।
किसी भी तरह का नुकसान होने पर क्लेम कैसे लें?
इश्वर न कभी किसी भी के साथ कोई दुर्घटना हो लेकिन अगर हो भी जाये तो आप को घबराने की ज़रुरत नहीं है आपको संबधित बीमा कंपनी या बिमा एजेंट को कांटेक्ट करना है वह क्लेम लेने में आपकी पूरी सहायता करेंगे।
और यदि आप को लगता है की बीमा कंपनी क्लेम में किसी भी तरह का धोखा या ज़्यादती कर रही है तो आप IRDAI में या फिर कंस्यूमर फोरम में इसकी कंप्लेंट भी दर्ज करवा सकते हैं।
उम्मीद गाड़ी का बीमा को लेकर आप की सारी शंकाएं दूर हो गयी होंगी
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